तेरी तमन्ना कुछ यूं की है मैंने
पत्थर तरास के मूरत की है मैंने..!
मानता ना में खुदा को था अब तक
पर तुम्हे पाने के लिए कई मन्नते की है मैंने..!
ना में मंदिर जाता था ना ही मस्जिद जाता था
पर बस अपनी खुशियों के लिए मंदिर में आरती
और मस्जिद में नमाजे अदा की है मैंने...!
तुम्हें क्या बताऊं कैसे बताऊं में की
तुम मेरी ना होने के बावजूद तुमसे वफाएं की है मैंने..!