रात्रि रचना
ना प्रेम की कविता
ना टूटे दिल के तार,
ना राजनीति है
ना दिनभर का सार।
ये पोस्ट तो बस यूं ही
लिखी जाती है यार,
जेसे बंद आंखों से
दिख जाए आपका प्यार।
हर रोज़ रात होते ही
सोचता हूं बार बार,
क्या लिखूं आज ऐसा
कि खुश हो मेरे सरकार।
बस यही एक तमन्ना
बची है अब दिल में,
हाज़िर हूं मेरे शब्दों से
जब याद करो हर बार।