ये रात इतनी बुरी भी नहीं
है काली अंधेरे से मग्न
डर से भरी, हर्ष से नग्न
किन्तु रौशनी को मौका देती है
हां थोड़ी परीक्षा अवश्य लेती है
इसके आने से तय है,जल्द ही सुबह हो जाएगी
सूरज के आने के बाद, ये फ़िर कहीं खो जाएगी
ख़ुद मिट कर बनाती है, नवजीवन का रास्ता
कैसे नहीं फ़िर
अच्छाई से इसका वा स्ता
नीयत है इसकी एकदम सही
ये रात इतनी बुरी भी नहीं