#Keep in mind following words...!!!
My New Poem...!!!!
बंदा समजता उसकी भूज़ामें है बल
पर प्रभुजी जानते कि अन्नमें है बल
गर ना दे कुदरत अनाज़ सब्ज़ी फ़ल
जीवन निवाँह दिनचर्या चले ना पल
कताँ धताँ सृष्टि रचयिता है मतलब
कि सिफँ प्रभु-परमेश्वर ही केवल
फ़िर काँहे मूर्ख मानव करे गवँ-बल
चंद क़तरेसे ही बना मिट्टीका पूतला
हल्की बल की हवाके गुमानमें दुर्बल
बन बैठा ख़याली घमंड में करे जुर्म
काश की तीन दीनकी भूखसे निँबल
हो फ़िर शान ठिकाने आ जाए प्रबल
परखें प्रभु लीला जीवन हो उज्जवल
दर्शन प्रभुके हो दिसे “रुँह”में ही प्रभु।
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