हा, मैंने भी वक़्त रोकना चाहा लेकिन
वक़्त कभी किसी का रुकता नहीं और
जो बीत गया वो सिर्फ याद बनके रह
जाता है....
बंदिशे वक़्त किसका रुका है जो हमारा
रुकेगा, ना वो खफा होता है ना वो कुछ
बोलता है उसका तो एक ही मंत्र है बस
निरंतर चलते रहो....
जो बटोरना है वो वक़्त के साथ रहकर
बटोरो, जो पाना है वो कल तक मत
छोड़ो, फिर भी कभी न चाहते हुए भी
कुछ छुट जाता कभी....