#श्री_जोगमाया_गौशाला_ट्स्ट_कुडा
पशु कौन? जिसकी चेतना देह-केंद्रित हो, जो शारीरिक सुख को ही सर्वोपरि मानता हो, और जिसमें न ध्यान हो न करुणा।
धर्म ही मनुष्य को पशु से अलग बनाता है। धर्म है जीवन के सत्य की खोज, और भय व बंधन से मुक्ति।
धर्म का आज जितना तिरस्कार कभी न था।
मनुष्य आज जितनी वेदना में कभी न था।