# आज की प्रतियोगिता # # विषय .केवल "
# विधा .छंदमुक्त कविता ***
केवल प्रभु ,तुम्हारा सहारा है ।
केवल प्रभु ,तुम्हारी आशा है ।।
तुम्हीं बिगड़ी ,बात बनाते हो ।
रोते हुए को ,तुम हंसाते हो ।।
जीवन में नयी ,आशा लाते हो ।
केवल प्रकृति को ,सुदंर बनाते हो ।।
मानव को सुख दुःख ,देते हो ।
मानव का सहारा ,बनते हो ।।
केवल तुम्हीं ,जगत के आधार हो ।
खुशहाली के कुछ ,पल दे दो ।।
बंधन से हमें ,मुक्त कर दो ।
अब हम बहुत ,असहाय हुए ।।
जीवन के दो पल ,खुशी के दो ।
तेरे अस्तित्व को ,हम पहचान न सकें ।।
अपने को बहुत ,बुद्धिमान समझने लगे ।
उसी का फल हम ,अब भुगत रहे ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।