वो दिल से दिल की बात
होती थी।
वो कया दिन थे!
में आंखो की भाषा
जानता था।
और वोह
चहेरा पढ़ना जानती थी!
मगर पढ़ाई में कच्ची थी!
हिसाब का में पक्का था!
वो क्या खुशी भरे दिन थे।
हम एक दूसरे को कितना
चाहते थे!
जो खत में लिख नहीं सकते थे,
आंखो में आंखे डाल कर
बात कर लिया करते थे!
में " लव लेटर " युग की
बात करता हूं!
क्या खुशबूदार खत हुआ करते थे!
क्या क्या बाते लिखते थे!
लंबे लंबे खत लिखते थे!
तब दिल से दिल की चाह होती थी!
आजकल तो लिखने का समय नहीं!
इमोंजी, लाईक, कोपिपेस्ट,फॉरवर्ड
सब चलता है!
खुद की शायद कोई सोच नहीं!
अपने कोई बोल नहीं!
जल्दी उठ बेटा देर हो जायेगी
कहकर मम्मी ने उठा दिया!
आज फिर दिल टूट गया!!
#દિલ