हा ,आज भी उसका इंतजार है ।
हा ,आज भी उसका इंतजार है।
क्या करे इश्क़ पागलों की तरह जो सर चढा है।।
पता है कि वो नहीं लोटनेवाला।
पता है कि वो नहीं लोटनेवाला।
फिर भी ना जाने क्यूं उसके इंतजार में हमारा वकत वहीं पे खड़ा है।।
चलो मान लेते है हम ना कोई इश्क़ था हमसे और नाही कोई द्वेष।
चलो मान लेते हैं हम ना कोई इश्क़ था हमसे और नाही कोई द्वेष।
फिर भी क्यु हम पे उसका आज भी इतना गहरा रंग चढ़ा है।।
खुली किताब की तरह था वो फिर भी ना पढ पाए उसके अल्फाजो को।
खुली किताब की तरह था वो फिर भी ना पढ पाए उसके अल्फ़ाजो को।
क्या करे क्युकी इश्क़ में अंधे बनकर बेहना भी तो हमने शायद उन्ही से सीखा है।।
kru...📝