प्रेम की महामारी में फंसकर ,हर दिन प्रेम का रोग बढ़ता ही गया। हुस्न के बाज़ार में मिली न दवा, दिन - दिन इश्क का बुखार चढ़ता गया। संक्रमित मुझे किया था जिस हुस्ना ने, वो क्वारंटाइन हो गई, मैं लाकडॉउन में फंस गया। इंतजार करते - करते सारा इश्क़ का बुखार उतर गया।