# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .बढ़ना "
# विधा .कविता **
मानव जीवन में ,धीरे धीरे बढ़ता है ।
मानवता के गुणों ,से निखरता है ।।
परोपकार कर ,वह महान बनता है ।
मानव सदगुणों से ,ही आगे बढ़ता है ।।
मानव दुर्गुणों से ,बेइज्जत होता है ।
सदगुणों से वह ,गुलाब की तरह महकता है ।।
मानव का बढ़ना ,उसे शिखर तक ले जाता है ।
मानव जितना झुकता है ,उतना ही महान बनता है ।।
अभिमान से मानव ,धीरे धीरे धटता है ।
अभिमान एक दिन उसे ,धूलधूसरित करता है ।।
परिश्रमी व्यक्ति ही ,जीवन में बढ़ता है ।
आलसी व्यक्ति धीरे धीरे ,नष्ट होता है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।