बन जाऊं दुल्हन तु दुल्हा बनके आना,
डोली में बिठाके तु ले जाना.
छोड़कर आउंगी अपने बाबा का आंगन,
अपने आंगन में मुझे हक थोड़ा सा दिलाना.
हु पराए ऐसा कभी ना जताना,
बस थोड़ा सा अपना पन दिलाना.
छोड़ के आए हु ममता का आंचल,
उस मां के नाम से कभी ना चिढ़ाना.
छोड़कर आए हु खुशी या सारी,
उस आंगन में मैं अपनी.
कभी दहेज के नाम पे मुझे ना झलाना,
युही बिना बात के मुझे ना सताना .
छोड़कर आउंगी ममता भरा घर,
अपने घर में थोड़ा सा हक मुझे दिलाना.
कहना ना पड़े कभी मुझे,
मेरा घर अब कहां ???
रुठ जाऊं कभी तो तुम मुझे मनाना,
छोड़कर साथ कभी ना जाना.
दहेज के नाम पे अर्थी ना सजा ना,
पलकों में आसूं कभी ना दिलाना.
बन जाऊं दुल्हन दुल्हा बनके आना,
डोली में बिठाके तु ले जाना.@