इश्क़ सा मोज़ू मेने आज तक देखा नहीं .......
लफ्ज़ से क्या तराजु इसको, और कैसे नवाज़ू इसको,...
क्यू नदामत हो मुझे?
जब इश्क़ मोतबर हो मुझे,
हुस्न-ए-इज़ाफ़ी करता हे इस क़दर
एहसास-ए-गुनाह क्यू हो मुझे?
इस बंदगी के सामने बेरुख होके तहक़ीक़ मेने आज तक देखा नहीं,...इश्क़ के जजीरे में इसरार से न आना !
पाक ये एहसास मेने आज तक देखा नहीं,......(Nidhi)