तिर ए नजर, कोइ उतर गया ,खयालों मे
खुबसूरत अंदाज , यह खुबसूरत है आँखे
हुश्न का अँदाज ,कालाघना बादल हो जैसे
बीजली सी चमकती ,गुमराह करती है आँखे
छु कर दिल के दरवाजे पर तसल्ली दिलाता
दस्तक देती दिलरुबा , महकती है यह आँखे
इश्क का पैगाम है ,कुरबान करती वफा से
ईबादत मे झुकती ,रहेमत दुआ देती ह आँखे