उफ़्फ़...
ये कमबख्त बारिश
और
तुम्हारी यादेँ!!!
Lockdown में भी
Social Distancing का
पालन नहीं करने देतीं!!!
बारिश आती है तो याद आती है
या फिर
याद आती है तो बारिश आती है???
ओढ़ के बैठा हूँ
तुम्हारी यादों की चादर को,
आज का दिन तो
यूँ ही गुजर जायेगा...
© रविश 'रवि'