** आज की प्रतियोगिता **
# विषय .आदर "
** छंदमुक्त कविता **
आदर बिना कहीं ,न जाइयें ।
जीव मात्र ,आदर का भुखा ।।
निर्जीव रेल भी ,बिना सिंगनल नहीं आता ।
सभी का आदर ,करना सीखें ।।
आदर से बडक्पन ,दिखता ।
भगवान भी ,आदर के भुखें ।।
दुर्योधन के छप्पन भोग ,श्रीकृष्ण ने त्यागे ।
आदर की भाजी ,विदुरजी के धर खाई ।।
पक्षी ,पशु भी ,आदर बिना पास नहीं आते ।
माता पिता ,गुरु ,बडो ,का आदर करो ।।
कुत्ता भी आदर से ,दुम हिलाता ।
आदर से पराया ,पल में अपना होता ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।