आज संध्याकाल में छत पर टहलते टहलते पेड़ ने मुझे बुलाया
कोयल रानी को मुझे दिखाया
कुकू कर मुझे सुनाया
उसका मधुर गीत मुझे बहुत भाया
मैंने भी उसके संग गाया
मन की बगिया में आनंद महकाया
रोज उसके संग गाने का मन बनाया
ऐसे ही तुम आती रहना
करुँगी तुम्हारा इंतज़ार
तुम्हारी वाणी ही हमारी मित्रता का आधार..