ये रिश्तों की बनावट भी अजीब है
कोई पास होकर भी दूर है
कोई दूर होकर भी पास है
कहीं बिना शब्दों ही समझ है
कहीं शब्दों के साथ समझौता है
कोई हवा में महेक सा छु जाता है
कोई बंध कमरे सा महेसूस होता है
कोई रिश्ता हमें छूता नहीं है पर
वो हम सांसो में महेसुस करते है
सच में ये रिश्ते कितने सारे !
अव्यक्त,अनसुने,मीठे,खट्टे तरह तरह के
ये रिश्तों कि बनावट भी असि
कितनी अजीब है!!
#આકૃત્તિ