ये आवाज़ तो आशा भोंसले की नहीं !
आप सचित्र खबर पढ़ते हैं कि उस हीरो ने उस हीरोइन से शादी कर ली। बैंड बाजा बारात सबके फ़ोटो छप जाते हैं।
दो दिन बाद किसी कौने में छोटा सा "भूल सुधार" छप जाता है कि वो तो जी शूटिंग थी, शादी नहीं। गलती के लिए खेद है- संपादक।
अब बरसों बाद कोई शोध करने वाला जब शादी की "एक्सक्लूसिव तस्वीरें" देखेगा, तो क्या ज़रूरी है कि उसे दो दिन बाद का भूल सुधार भी कहीं दिख ही जाए?
हमारे फ़िल्म इतिहास में ऐसे कई दंपत्ति हैं जिनकी शादी की तस्वीरें दर्शकों के पास हैं लेकिन उन्हें ख़ुद भी नहीं पता कि किस पत्नी का कौन सा पति या किस पति की कौन सी पत्नी अब कहां है!
ख़ैर, शादी की तो बात ही नहीं है। ये तो बात है मकान की, अर्थात दरिया किनारे एक बंगले की।
एक बार खबर उड़ी कि एक्ट्रेस साधना और सिंगर आशा भोंसले के बीच ज़बरदस्त तनातनी हो गई और मामला कचहरी तक पहुंच गया।
कहा जाता था कि साधना उनके पति के निधन के बाद जिस बंगले में रहती हैं वो आशा भोंसले का है और उन्होंने उसे ख़ाली कराने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है। उधर ये भी खबर थी कि साधना की ओर से भी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है कि उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है।
इस खबर को लेकर साधना जी की एक समकालीन अभिनेत्री, जो उनकी ख़ास सहेली भी थीं, तत्काल आशा जी से मिलीं और खबर दिखाते हुए भावुक होकर कहने लगीं- ऐसा क्या हो गया, आप तो उनकी बुलंदी के दिनों की उनकी आवाज़ रही हैं? अब क्या आप उनकी छवि को इस तरह ज़लील करेंगी?
लेकिन सहेली को ये जानकर गहरा अचंभा हुआ कि आशा भोंसले को इस बाबत कोई जानकारी तक नहीं है। वो ख़ुद ये खबर पढ़ कर हैरान थीं।
तो क्या खबरी दुनिया में ऐसी मिसाइलें भी बेपर के उड़ा दी गईं?
जी नहीं! शोध से सामने आया कि बंगले को किसी बिल्डर को बेचने के लिए खाली करवाने का नोटिस ज़रूर दिया गया है किन्तु इस बंगले का मालिकाना हक़ आशा भोंसले के पास नहीं बल्कि उस परिवार के पास है जो वर्षों पहले आशा भोंसले का ससुराल हुआ करता था। अपने पति व उसके घर से अलग होने के बाद अब मिसेज़ पंचम यानी कि श्रीमती आर डी बर्मन वर्षों से पेडर रोड पर रह रही हैं।
पार्श्वगायिका आशा बर्मन का न तो कब्ज़ा उस बंगले पर था और न उनका नाम ही बंगले के काग़ज़ात पर।
पर खबर को बूस्टर डोज़, या जंपिंग करेंट देने के लिए सुरीली आवाज़ की मलिका आशा जी के नाम की पताका, साधना जी के नाम के लहराते परचम के साथ नत्थी की गई थी, ताकि ये समाचार हवा- हवाई होकर नई ऊंचाइयों का स्पर्श करे।
शोध की अहमियत दुनिया में कभी कम नहीं होगी चाहे चाइना के वुहान नगर की प्रयोगशाला में किसी वायरस की जन्मकुंडली खोजनी हो, चाहे हमारी फ़िल्मी दुनिया में उड़ते सुर्खाबों के पर गिनने हों!