गैर हु बस आज यकीन कर लेता हु
बीते हुए लम्हों को मैं समज लेता हुं
अँन्जान क्यु है ?ऑखे देखते हुए भी
शून्य है जींदगी इतना समज लेता हुं
रुसवाई किस से करु ? जरा कहीए
गैर रिस्ते को , अपना समज लेता हुं
अपनेपन के अंदाज़ से बहुत जीया मै
गैर था वोह खयाल यही समज लेता हुं
छोडो तूतू मै मै ,झधडा दुनियादारी का
खुद को मै खुदाका,बस समज लेता हुं