सूखी सी नाव है सागर पर ,क्या जाना उसको पार ही है?
है सूखामन ,घट सून लिए ,बैठा जल पर भ्रम ,मूढ़ लिए |
शक्ति सामर्थ्य सब चूर हुआ , फिर दैव योग से मिली कृपा|
जड़ थी जो नाव मे छेद हुआ , गागर सागर से पूर्ण हुआ.गीले सूखे का भेद मिटा |
नाव-जीवात्मा , सागर -आत्मा ,गागर -मन ,सूखामन -जिग्यासा .
#सूखा