इक टक ,पलकें ठहर सी गई
जहाँ आसमाँ धरती मिल गई
वोह अहेसास , सुकुन भर गई
मंजिल आप में ही मिल गई
रात का सन्नाटा,झिलमिल चाँद
टिमटिमाटी , रोशनी मिल गई
महकती हवाँए , चहकते परिन्दे
गुल ए दिल ,नजाकत मिल गई
बाहरी सतह पर मौज़ ए दरिया
गौहर दिल , रुुहानियत मिल गई
पाना क्या ,खोना क्या यहाँ पर
मंजिल ए हुश्न, हकीकी मिल गई