Hindi Quote in Thought by Neil Sethi

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"कत्थई आँखों वाली लड़की"
(एक और दिमाग़ की उपज)
सफ़र-ए-ट्रेन

खिडकी वाली सीट
किताब और चाय

एक सफ़र काटने के लिए इतनी चीज़ें काफ़ी है,
मगर ना जाने क्यूँ आँखें एक हमसफ़र को ढूँढ रही थी|ट्रेन हमारे शहर के रेलवे स्टेशन से निकलने ही वाली थी की अचानक खिड़की से नज़र पड़ी एक लड़की पर।

कुछ देर बाद वही लड़की मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ गयी, एक pal के लिए लगा ऊपर वाले ने दिल की बात सुन ली हो चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान बिखर गयी|

वो लड़की... ज़ुल्फ़ें खुली हुई, कत्थई आँखें,नज़रें एक टक मोबाइल पर और उँगलिया फ़ोन की स्क्रीन पर नाच रही थी, खिड़की से अंदर आती हुई हवाएँ उसकी ज़ुल्फ़ों से पूरी शिद्दत से लड़े जा रही थी, पहली बार ना जाने क्यूँ हवाओं से इश्क़ हो गया था।।थोड़ी देर बाद तंग आकर उसने अपनी ज़ुल्फ़ों को कस के मरोड़ कर उसमें पेनसिल जैसा कुछ घुसा कर पीछे बाँध लिया।।

उसका लाल चश्मा उसके चेहरे पर चार चाँद लगा रहा था, वो चश्मा बार बार आकर उसकी नाक पर आकर ठहर जाता ओर वो अपनी ऊँगली से उसे अपनी जगह पर बैठा देती।

अब उसकी नज़र पड़ी उसके सामने बेठे एक लड़के पर जो की हम थे,
उसने दबी आवाज़ में पूछा..तुम किताबें पढ़ते हो..?? हमने बैग से एक किताब निकाली और उसको दे दी। वो किताब की हर एक लाइन पर ऊँगली खिसका खिसका कर पढ़ रही थी।।

आँखें टकरायी, बातें हुई, वो अपने शहर जा रही थी और मैं अपने शहर से दूर, मंज़िल एक ही थी।
चाय चाय की धीमी आवाज़ आ रही थी, हमने उनसे पूछा.. जी चाय पीयोगि..? उसने भी बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया.. जी आप पीलाओगे तो बिल्कुल..?

दिल साला अपनी औक़ात से ज़्यादा धड़कें जा रहा था और चेहरा की शर्म से लाल।

सफ़र अब ख़त्म होने को था, ट्रेन की गति भी धीमी हो गयी थी। उतरने के बाद पूछा मैंने... हम मिलेंगे..?? उसने कहा.. बिल्कुल..!! उसने किताब किताब लौटाते हुए कहा जी अपनी किताब का पहला पन्ना खोल कर देख लीजिएगा, हमें इंतज़ार रहेगा.. इतना कहकर वो चली गयी। पहला पन्ना खोला तो उसपर उसका नम्बर लिखा था।।

#Terameraeksafar

@Neilsethi

Hindi Thought by Neil Sethi : 111411132
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