आज की प्रतियोगिता
# अनकहा *
विधा .कविता ..
अनकहा दिल को ,तड़पाता है ।
अनकहा आपसी प्रेम कम करता है ।।
अनकहा आशंका को जगाता है ।
अनकहा दूरियाँ बनाता है ।।
अनकहा मित्रता में खटाश लाता है ।
अनकहा दिल की बात कहने नही देता है ।।
अनकहे पर विश्वास नहीं होता है ।
अनकहा कभी नही बनना है ।।
सच्ची बात कभी छिपानी नही है ।
अनकहा झुठ का भाई होता है ।।
अनकहा जीवन की खुशियाँ छिनता है ।
अनकहा नहीं बनना चाहिए ।।
बृजमोहन रणा ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।