ना जाने कौन सी घड़ी थी वो , जो इश्क का इजहार कर बैठा।
बया मेंने, की दिल की भावनाएं तुझसे , और तुझको ही खो बैठा ।
अनकही सी दास्तां कह बैठा , अपना सर्वस्व खो बैठा।
जो दिल में था , वो जुबा पे ला बैठा, जो हाथ मे था उसे भी खो बैठा ।
अरे! तूम तो निष्ठुर हो , ना समझोगीे , लेकिन मैं तो जन्नत खो बैठा।
अनकही सी दास्तां कह बैठा , अपना सर्वस्व खो बैठा।
#अनकहा