जींदगी कभी कभी उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है. जहाँ ना कुछ सही लगता है, और ना कुछ गलत........
कितनी अजीब है ना जींदगी...
मुकम्मल हो कर भी कुछ अधूरे से अहेसास बाकी है तेरे बिन जिंदगी में....
कितनी अजीब है ना जींदगी......
क्युँ चाह कर भी कुछ ख्वाहिशें अधूरी सी रहे जाती है जींदगी में...
कितनी अजीब है ना जींदगी.....
इतना सब होने के बाद भी ना जाने क्यों जी रहे हैं जींदगी ...
कितनी अजीब है ना जींदगी....
कोई तो वजह जरूर रही होगी वरना किसी को शोख तो नहीं होता यु मर मर कर जिना जींदगी में.....
कितनी अजीब है ना जींदगी.....