कविता ..
खाक में मिल गये वो ख्वाब ।
जो कभी इस नादान दिल ने देखे थे ।।
वो भी क्या हसीन दिन थे ।
जब ये दिल खिलखिला कर हंसता था ।।
जिदंगी के आंगन में खुशहाल था ।
बड़े होकर अपना बचपन भुलें ।।
हम बचपन की सब नादानियाँ भुलें ।
हमसे मिल कर खुशियाँ चहकती थी ।।
वो आज हमसे बेवफा हो गयी ।
हाय ,हम क्यूँ बड़े हो गये ।।
बडे होकर बचपन को भुल गये ।
बचपन की यादें ताजा कर गये ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,अमदाबाद ।