हर पल भर भर के जिया ,फ़ुरसत नही मिली ,
बेगाने तो बहोत मीले सिर्फ अपने न मिले ।
जो देखे ते ख्वाब सारे सपने बन के रह गए ,
नजर तो बोहत मिली बस कदर न मिली ।
हो गर स्थान तो में भी रख दु थोड़ा गम ,
वजह से तो बहोत मिले बेवजह कोई नही मिला।
ताल्लूक नही की गया दिन रात की तरह ,
सुबह तो बहोत मिला मगर साम को कोई न मिला ।
जानते हुवे सब फिर क्यों ऐसे गुनगुनाना ,
साधन तो बहॉत मिला संगीत नही मिला
न गिला किसी से ओर क्यों करे किसी से ,
आलोचना तो बहोत मिली ,अहेसास नही मिला ।
बात आई स्वभाव पर तो क्या बताना तुम्हें ,
दिमाग तो बहोत मिला "हृदय "नही मिला ।
"हृदय"