शुभ संध्या शुभ रात्रि सुविचार ब्रह्मदत्त
सितम को छुपाने से विघ्न मिलते हैं!
हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो गम ही गम
मिलते है,!!
एक तरफा किसी को मत चाहो वर्ना बहुत
सितम मिलते हैं
दुनियां को देख देख के एहसास हुआ,
बेमतलब बहुत कम, मतलब से सभी मिलते हैं
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं ।
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़