खामोशी को टटोलता हुआ तू
बातों में जहर घोलता हुआ तू
आज बस गौर से सुना मैंने
मेरे लहजे में बोलता हुआ तू
मैं पिरोता हुआ तुझे उनमें
मेरे अल्फाज तोलता हुआ तू
आज फिर से मुझे नजर आया
रंग उदासी में घोलता हुआ तू
फिर वही थाम ता हुआ एक में
फिर मुसलसल डोल्टा हुआ तू
दे के दस्तक फिर काश मैं देखूं
दर चुपचाप खोलता हुआ तू।।।