ए राही..
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बहोत थका है मन ,दौड कर पिछे पिछे
थकान दूर कर ले , है मंझील और आगे
सपनोसे अब दोस्ती ,अकेले नही है हम
दुनिया भले सो जाए, नैन यह जागे जागे
सताया है हमेशा ही, ये बेदर्द दुनियाने
देते हौसला दिल को,निकले है आगे आगे
रास्ते नही होते कभीअपनी मर्जी के दोस्त
कांटो से निकल कर ,चले चल आगे आगे
नयी सुबह दे याद मजबूत इरादो की
जजबात जोशभरे,लेकर निकल आगे
थकी रात निंद नही,तारे आकाश के बोले
हार ना मान ऐ राही, तू चल रे आगे आगे
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ए राही..
-अरुण वि.देशपांडे-पुणे.
9850177342
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