" #अतीत " के पन्ने कुछ यूं खुलते गए,
देखा उस school को और
हम बचपन की यादों में चले गए
कितनी मासूम थी वो दुनिया,
चहेरे पे हंसी और आंखों में सपने बुनती थी
वो नाजुक हथेलियां
ना किसी से बैर ,ना कोई शिकवा- शिकायत थी
रोज नए दोस्त बनाना यही तो सब की आदत थी
अभी याद ही कर रही थी उन लम्हों को,तभी दोस्तों ने आवाज़ लगाई
फिर क्या
" #अतीत " के पन्ने ही नहीं पुरी क़िताब खूल कर आई 🙂
#अतीत
#ભુતકાળ
- Moni patel