" #अतीत " के पन्ने कुछ यूं खुलते गए,
देखा उस school को और
हम बचपन की यादों में चले गए

कितनी मासूम थी वो दुनिया,
चहेरे पे हंसी और आंखों में सपने बुनती थी
वो नाजुक हथेलियां

ना किसी से बैर ,ना कोई शिकवा- शिकायत थी
रोज नए दोस्त बनाना यही तो सब की आदत थी

अभी याद ही कर रही थी उन लम्हों को,तभी दोस्तों ने आवाज़ लगाई
फिर क्या
" #अतीत " के पन्ने ही नहीं पुरी क़िताब खूल कर आई 🙂

#अतीत
#ભુતકાળ
- Moni patel

Hindi Poem by Moni Patel : 111377063
Moni Patel 4 year ago

Thank you so much

कबीर 4 year ago

Hpy birthday!!god bless you

Moni Patel 4 year ago

Thank you So much

Ghanshyam Patel 4 year ago

Happy Birthday Moniji

कबीर 4 year ago

Superb mind blowing

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