आज मैने कितने दिनों बाद उसको छत पे बैठे देखा और मुझे ऐसा लगा मानो वो अकेली बैठी बैठी मेरा ही इंतजार कर रही हो जैसे पहले किया करती थी. में कार में था और दुरसे उसको देखा था, थोड़ी देर तक मेरी आंखे उसपे ही अटक गई और सांस थमसी गई फिर दिलसे एक आवाज आई मत देख उसको तुझे देखकर मूड गई तो? जैसे उसके घरके पास पहोचा मैंने नज़रे हटाली क्युकी मुझे डर था कि कहीं वो मुझसे नज़रे ना हटाले और एसा में सहन नहीं करपाता. उसने मुझे देखा था कार में था तभी और नीचे उतरा , थोड़ी देर बाद वापिस बैठा तब्ब भी वो मेरे सामने देख रही थी. लेकीन मैने डर की वजह से नहीं देखा, मैंने खुदको बहुत रोका ,जब कार आगे निकल गई तब मैने कार मेसे पीछे मुड़कर देखा उसकी नजर मेरे पर ही थी । में नहीं जानता की आजभि में जो उसके बारेमे महसूस करता हूं क्या वो भी वेसाही मेंहसूस करती है?
सच बताऊं तो आज भी उसको देखकर में सबकुछ भूल जाता हूं । चहेरे पे फिरसे वहीं मुस्कान और दिल जोरो से धड़कने लगता है ।
हमारी अधूरी कहानी…