" टोटल लॉकडाउन"
बरसों के बाद
समस्त परिवार को एक साथ चहकते देखा..
बुजुर्गों संग रिश्तों की खुशबु को महकते देखा..
भंवरों की गुंजन,कोयल की कूक सुनी..
नन्ही गिलहरियों को पेड़ों पर फुदकते देखा..
शायद पहली बार
पति के हाथों की बनी चाय पी
हर काम में सबने अपनी राय दी
रसोई में रहा पिकनिक सा माहौल
घर में ही छुट्टियाँ सबने इंजॉय कीं
अरसे के बाद
घर में पड़े बहुत सारे पल मिले
ठुकराए,सकुचाए छोटे लम्हे निश्छल मिले..
बहुत सी किताबे बंद अलमारियों से आजाद हुईं..
मन में दबे कई बाल सुलभ हलचल मिले
सालों के बाद
शोरगुल से दूर वीरान पड़ी सड़कें देेखीं..
आम्र मंजरियों की खुशबू संग बहती हवाएँ देखीं..
आसमान में बादलों और पक्षियों की दौड़ दिखी
नर की जगह नारायण की सभी रचनाएँ देखीं..
कई दिनों बाद
अंदर के भगवान का एहसास हुआ
खुद में सिमटते प्यार का विकास हुआ
अपने ही अंदर बुद्ध, कबीर,कृष्ण और राम मिले
मुश्किलों की घड़ी में भी खुद पर विश्वास हुआ
लोक डाउन ही सही
भागते मशीन इंसानों में ढल रहे हैं
अंदर के शोर में खुद को ढूंढने निकल रहे हैं
मुस्कुरा रहे ईश्वर धर्मों के बंधन से आजाद होकर
बंद घरों में "उसके"हिसाब से हम बदल रहे हैं
अर्चना अनुप्रिया