कर्म अच्छे करते रहो ; लोको का कुछ पता नही ,
मर्जी होगी तो हो आयंगे; वरना कुछ पता नही ।
अपेक्षा करो भी मत गर ; सुखी होना है तुम को ,
खुद के अहेसास पास रखो ; ओरो का कुछ पता नही ।
कब ये समंदर किनारे ला खड़ा करदे अकेला तुज को ,
अवनि कब सूखी ओर बंजर हो जाय ; कुछ पता नही ।
रख भरोसा उस जगतपति पे जो या लाया है तुम को ,
"हृदय " कब चलेगा या कब बंध होगा कुछ पता नही ।