My Eventful Poem...!!!
यारों आज ख़ुदा की कुदरत
का हमने मँझर निराला देखा
आज पँछी उड़े खुले आसमान में
ओर क़ैद में हमने ज़माना देखा
आज हर बंदा है ख़ौफ़ज़दा ओर
हर मुल्क दहशतगर्दी में डूबा देखा
हर गाँव हर शहर बिरानौ-सुनसान
हर यातायात को ठहरा हूआँ देखा
ख़ामोश बस्ती बनी सेहरा-ओ-गर्द
झरोख-ए-आशियानेसे सूरों-लय देखा
आपसी रंजिशों-तनाव मिटते हूए देखा
एक ललकार पर एकताका प्रलय देखा
प्रभुकी रचीं एक ही मुश्किल घड़ी⏰ में
लाखों-सेकेंडों जानोंको दम तोड़ते देखा
✍️🥀🌺🌲🙏🙏🙏🌲🌺🥀✍️