रिश्ता..!!
अरे,तुम! यहां कैसे? राघव ने स्मृति से पूछा।।
बस, यहां पास में आई थीं,वो मेरी सहेली आस्था है ना उसके घर तक, स्मृति ने जवाब दिया।।
अब यहां तक आ ही गई हो तो घर चलकर एक कप चाय पी लो,राघव ने स्मृति से कहा।।
स्मृति ने राघव की आंखें देखी और वो उसका आग्रह टाल नहीं सकी।।
दोनों घर पहुंचे, स्मृति ने घर की दीवारों को देखा और चकित रह गई।।
ये क्या? तुमने अभी तक मेरी तस्वीरें दीवारों पर लगा रखीं हैं, स्मृति ने कहा।।
यही तो मेरे जीने की वजह है,ये हैं तभी तो अब तक जिंदा हूं,राघव बोला।।
स्मृति बोली, और ये शादी की तस्वीर का भी तुमने बड़ा फ्रेम करवा लिया, कितने प्यारे लग लग रहें थे,उस दिन तुम।।
हां.. और तुम भी तो दुल्हन के रूप में कितनी सुंदर लग रही थी,एकदम परी की तरह,राघव बोला।।
तुम्हें अभी तक सब याद है, स्मृति बोली।।
हां,कैसे भूल सकता हूं,तुम ही तो जरा सी बात पर मुझसे झगड़ कर अपनी सहेली के पास हॉस्टल रहने चली गई, गलती मेरी जो मैं तुम्हें मनाने नहीं आ पाया लेकिन अब कहता हूं,क्या तुम मेरे साथ इस रिश्ते को कायम रखना चाहोगी।
और स्मृति रोते हुए राघव के गले लग गई।।
समाप्त__
saroj Verma__🌹
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