दोनो थी "कान्हा" की दिवानी
एक थी "राधा" एक थी "मिरा"
राधा थी क्रिष्णालीला की दिवानी
भक्ति में दिवानी थी मिरा
अंतर नहीं दोनो की चाह में
प्रेम रंग रंगी थी राधा
भक्ति में लीन थी मिरा
राधा को थी प्रेम प्यास
मिरा को थी दर्शन की आश
राधा पर तुटा जुदाई का कहर
भक्ति में मिरा ने पिया था जहर
कम नहीं था दोनों का प्रेम कान्हा
कोई कहे राधा तो कोई कहे मिरा
. ..... विनोद ✍️