पलकों को अपने तुम इजाज़त न देना। जब निगाहें चार हो, तब शरारत न करना। कहते है दिल तक पहुँच ने का रास्ता निगाहों से होकर गुजरता है। लब चुप रहे, अल्फाज़ साथ न दे, तब ये निगाहें दिल को बयान करती है। कुछ इशारों में बात होती है। कभी नजरे आरपार होती है। कुछ बात है उनमें तब बात जरुर होती है।