Hindi Quote in Story by Lalit Mishra

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,, ये बाबुआलोगन काहे हमरा पीछा करत हो। जो अपना घर जा माई रास्ता देखत हुई हैं। जानें किसने पत्थर मारी वो वहीँ सिर पकड़ कर बैठ गया। इतने में बाबूजी आ गए सारे बच्चे शक्तिमान की तरह गायब हो गये। बाबूजी उसके पास बैठ कर उससे पूछने लगे कहाँ रहते हो भाई कहाँ से आये हो? और ये बच्चे तुम्हे क्यों परेशान कर, रहे, हैं? वहीँ खड़े कुछ लोग बोले अरे दादा जी ये पागल है इतने पर वो बोल पड़ा, नहीं बाबू जी मैं पागल नहीं हूँ, पागल दिखता हूँ। इन लोगों को। ओ बाऊजी हम काहे को हो, को, परेशान, करें, हम खुद परेशान, है बाबू। परेशान, कर रहे थे। बच्चा लोग। बाबू साहब हमरे पास कोनो खेत घर, नहीं है। जो कुरिया रही भोजाई। वहउ सेभगा दीहिस कहाँ जाये, लोगन, के, दुआरे, लकड़ी काट, के खेत मे काम करके एक बखत के खाना मिल जात है पागल समझ कै मार मारके ढीला सर फोड़ दियत है बाबू साहब,हम पागल नहीं है, हम कहाँ जाये? ऐसे गाँव गाँव भटकत रहित है कहूँ ठौर ठिकाना नहीं, है बाबू साहब। तब ही लोग हमका पागल कहत यह सोच कैतो यही गांव में आये रहन बाबू साहब सुना। है, मनरेगा, की, खुदाई, चलत, है, हमरो, कार्ड बनवा देती, प्रधान बाबू तो कुछ जुगाड़ होईजाते खाये, पिये के, वही प्रधान से मिले। बरे आये रहन गांव, में सब बोले रहै प्रधान बहुत अच्छे हावै मगर गांव किनारे धोबीन के, दुआरे,, घेर लिहै न। , अच्छा तो तुम प्रधान साहब से मिलने के लिए आये हो लोग भटका दिन बाबू साहब, हमका, नहीं, पता, है, न, अच्छा चलो अब रोना बंद करो, शांत हो जाओ। हम ही है प्रधान। मनरेगा में काम करोगे, रहोगे कहाँ कहूँ एक जगह पर बोरिया डाल के सोये। जयिहै। बाबू साहब।,,,, , काम तो सब करवा लिए थे। बाबू साहब पर खाली रोटी, देके भगा दिए थे। एक बखत की रोटी, मा दुई। टाईम। काम नहीं चलत हैं। तरफ इशारा करते हुए बोला बाबू साहब। अगर आप कहिये तो मंदिर के, साथ सफाई करते, हैं, और, चबुतरे, पर बोरिया डाल के, सुत जाइये। साहब। पोटली में क्या रखे हो? थोड़ी देर शांत रहा फिर बोला एक जोड़ी कपडा, है बाबू साहब। कहूँ तो खोल के दिखा दे। नहीं नहीं कोई बात, नहीं, कोई जरूरत, नहीं, है।, भूख लगी है कुछ खाओगे। कल रात में ही आ गए थे। गांव में की सुबह ही आये हो ना बाबू साहब सुबह ही आये भोरे। चार बजे। दूर गाँवों में रही बाबू साहब ना तो बो रहे है उठ के चल दिए। पैसा न, होवे ना कहाँ, साधन, कहां बाल्टी की तरफ इशारा करते हुए जाओ बाल्टी रखी है साबुन। मांग लेना नहा लो आज कहीं नहीं जाना है। तुमको ,अब कभी परेशान मत होना। मैं हूँ ना तुम्हारे पास खेत, भी, है, खलिहान, भी, है सब है, तुम्हारे पास तुम्हें किसी के यहाँ कुछ करने नहीं जाना। वो हमारे घर का मुखिया बन गया था हम मुखिया बुलाते थे।

Hindi Story by Lalit Mishra : 111364535
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