आदर और सम्मान करूँ मैं
हे नारी तुमको प्रणाम करूँ मैं
रिस्ते नाते घर और आँगन
सूना बिन बादल जैसे गगन
जग है सच्चा तुमसे ही जीवन
जहाँ पैर पड़े हो जाता पावन
सब तो आगे है शून्य तुम्हारे
न कोई लफ़्ज हैं पास हमारे
आदि का पता नही
अनंत में क्या शब्द लिखूँ मैं
आदर और सम्मान करूँ मैं
हे नारी तुमको प्रणाम करूँ मै