My New Poem ....!!!!
स्वयं से कैसे जीतते हैं...???
कोई बताए मुझे ...???
मेरे लिए अब मैं ही कष्ट का
कारण बन गया हूं...!!!
इच्छुक इच्छाओं की आँधी 🌪
ओ में घिर चूका हूँ...!!!
जायज़-ना-जायज़ रिवायतों के
मसलों में क़ैद हो चूका हूँ..!!!
मेरे लिए अब मैं ही कष्ट का
कारण बन गया हूं...!!!
फ़लसफ़ा-ए-जीदगीं की खोजों
में उलझ के रह गया हूँ...!!!
लड़ता ख़ुद से ही हूँ फिर खुद ही
सुलह भी में कर लेता हूँ ...!!!
ताग अच्छे-बूरे मिलाने कोशिशों
में हर-वक़्त लगा रहता हूँ...!!!
हर-एक ऋण अदा करने की भी
कोशिशों में लगा रहता हूँ..!!!
मेरे लिए अब मैं ही कष्ट का
कारण बन गया हूं...!!!
प्रभु ने भेजा जो वजह से वह भी में
हर-वक़्त खोजता रहता हूँ...!!!
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