#आज़ादी
21वी सदी की और बढ़ रहे सबके कदम है,
कहते है सब के स्त्री तुजे आज़ादी हर कदम है ।
पर क्या ये सोच सही भी है?
आज़ादी के नाम पर प्रश्न कई खड़े है,
कहा जाना कहा न जाना,
किस से बात करना किस से न करना ,
क्या पहन ना क्या न पहन ना,
हर बात पर रोकटोक है।
क्या यही आज़ादी है?
हस के करली बात किसीसे बाजार में,
उड़ने लगते है छींटे उसके दामन में,
क्या यही आज़ादी है?