भीड़ में भी आजकल तनहाई लगती है ।
तो सोचो अकेले में क्या हाल होता होगा ?
रास्ते पर तो चलते है पर मंजिल का पता नही ।
क्या ये उनके ही जाने का असर है ?
तो उनके बिना ये दिल क्यों धड़कता है ?
क्या अभी भी इसको उनका ही इंतज़ार है ?
तो फिर तन्हाई ने क्यों घेर रखा है दिल को ?
दिल तन्हाई में डूबा है और मन उनके इंताजर की ख्वाईश में...
Dr.Divya