सुना है लोग उसे आँख भर के देखते है
तो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते है
सुना है राफत है उसे खराब हालो से
तो अपने आप को बर्बाद कर के देखते है
सुना है दर्द की गाहक है चस्मे नाज़ उसकी
तो हम भी उसकी गली से गुजर के देखते है
सुना है उसको भी है शेयर -ओ -शायरी से सराफ
तो हम भी मोईझे अपने हुनर के देखते है
सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते है
यह बात है तो चलो बात कर के देखते है
सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है
सितारे बामे-ऐ-फलक से उतर के देखते है
सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती है
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते है
सुना है उसके बदन की तराश ऐसी है
फूल अपनी कवाएं क़तर के देखते है
रुके तो गर्दिशयें उसका तवाफ़ करते है
चले तो उसे ज़माने ठहर के देखते है