उसकी दहाड़ के आगे पर्वत भी हिल जाता
ऊंची इतनी शान की अंबर भी झुक जाता
अपने दिल में आजादी के अँगारे वो रखता था
दुश्मन भी कपता
जब वो रास्ते से गुज़रता था
हर ख्वाईस उसकी कौम के बाद रहा
आज़ाद जिया वो शेर माँ का
सांस आखिरी थी तब वो आज़ाद रहा...
Trisha R S... ✍️