माँ का दर्द
तन पर भार अधिक और मन बेचैन है
गर्भ में पल रहे बच्चे की चिंता है
ऊपर से गरीबी अंदर-ही-अंदर मारती है
क्या करूँ सहती हूँ असहनीय कष्ट
सहारे की उम्मीद भी नहीं है किसी से
इस दुनिया में गरीब का है कौन भला
ईश्वर से करती हूँ बस इतनी ही प्रार्थना
भुजाओं में ताकत बनी रहे और मन
किसी भी पल मायूस न रहे
सह लूँगी हर मुश्किल हर कष्ट
हाँ मैं एक माँ हूँ सह लूँगी हर तकलीफ़।।
आने वाले बच्चे का भविष्य हो सुनहरा
इसलिए सहन करती हूँ अपार दुःख
असमय ही पति का साथ छूट गया
पेट की भूख मिटाने और चंद ख्वाहिश
पूरी करने की पूरी जिम्मेदारी इस माँ पर है
गरीबी भी बहुत रंग दिखाती है
गरीब परिवार को बेइंतहा सताती है
बस ईश्वर इस माँ की है यही प्रार्थना कि
हे ईश्वर! देना यदि जीवन तो गरीबी मत देना किसी को
हाँ बहुत दुःख देती है निर्दयी गरीबी
हाँ हे ईश्वर!इस माँ की करूण पुकार जरुर सुनियेगा।।
©कुमार संदीप
मौलिक,स्वरचित