बातें भी तो हमें इतनी बनाना नहीं आता।
रूठे रहते हो तुम यूं मनाना नहीं आता।
कह कह के तुमको हम तो हार गए हैं ;
गीत प्यार का भी तो सुनाना नहीं आता।
वो रेत के महल देखो बनाने लगे हैं अकसर ;
ऊंचे महलों में शायद दिल लगाना नहीं आता।
वक्त का क्या है वो तो यूं भी बदल जाएगा ;
बदल गए हैं हम अब ये बहाना नहीं आता।
पा ही लेते तुमको गर आती हमें भी अदाएं ;
चाहते हैं तुम्हें कितना ये भी जताना नहीं आता।
मिलो न गर जीवन में इक कमी सी सदा रहेगी ;
बात ये भी दिल की मिल के बताना नहीं आता।
यादें तो बस यादें हैं ये रुकती नहीं चाहने से;
प्यार में तुम्हारे दीवानापन छुपाना नहीं आता।
अब कोई कहे हमें नादां तो हैरत नहीं होती;
प्यार तो बस प्यार है इसे भुलाना नहीं आता।
तुम जो कहो तो चले जाएं शहर से तुम्हारे;
तुम्हें देख कर हमें आंखें चुराना नहीं आता...
अमृत....