हमारी शौक उनकी मौत
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चायनीज मंझे से
भले किसी का मन
बहल जाय,
लेकिन
कोई और है
जिसके उड़ान को
यह मांझा
अपने कब्जे में ले लेती है
और बदले में देती है
हर तड़प
जिसमें मिलती है इन्हें
असहनीय दर्द
इनके
शरीर के कई हिस्सों को
चीर देती है,
कभी गला तो कभी पंख,
तो कभी पैर
तो कभी फटते मुँह से
निकलने लगती है
फव्वारे जैसे खून
कुछ मर जाते हैं
मंझे में गूँथकर
और बन जाती है
उनके लाश की लुगद्दी.