कैसा प्यार हैं ये
मिल कर बिछरना ,बिछरकर कर मिलना
प्रेम के प्रित मे जोगी बन विचरन करना
यादो के साये पर जोग लगाये रखना ।।1।।
जाने कैसा प्यार हैं ये
खूद परेशान होते है पर दूजे से कहते है यहाँ खूश हैं हम
क्या बताये ये प्रेम का जोग जितने दूर होते है उतने तेरे पास होते हैं
हम होते हुए भी हम नहीं जो तू साथ नहीं
ये तरपन ये बेचैनी ये पागलपन साथी क्या यही प्यार है
जाने ये कैसा प्यार हैं।। 2।।
__🖋 vikesh yadav